कुकड़ेश्वर (सागर कथिरिया)---जिला मुख्यालय नीमच से 40 किलोमीटर दूर पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा का ग्रह नगर एवम् सहस्त्र मकेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध कुकड़ेश्वर नगर स्थित है जहां मनासा रामपुरा रोड पर अस्पताल स्थित है अस्पताल के निर्माण में पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा का अहम योगदान है जो 30 बेड की क्षमता तथा 70 गांव की लगभग 60 हजार आबादी की स्वास्थ्य सुविधाओं का भार है लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत के कारण यहां पर स्थाई डाक्टरों की नियुक्ति नहीं की गई है
वर्तमान स्टाफ की जानकारी
मेडिकल ऑफिसर। "1"
नेत्र सहायक। "1"
फार्मासिस्ट। ""1"
ड्रेसर। "1"
वार्ड बॉय। " 1"
नर्स। "1"
तथा अस्पताल को रोस्टर के अनुसार संचालित किया जा रहा है सुविधाओं के अभाव के कारण उचित स्वास्थ्य लाभ न मिलने के कारण मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है जिसके चलते कई लोग अब तक इस अस्पताल में दम तोड़ चुके हैं जब विश्व अस्पताल में स्थाई डॉक्टर उपस्थित थे तब यहां की ओपीडी 80 से 90 प्रतिदिन की हुआ करती थी तथा यहां पर खून एवं पेशाब की भी जांच की जाती थी यहां तक की कुकड़ेश्वर थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक्सीडेंट होने पर मेडिकल करवाने के लिए 14 किलोमीटर दूर स्थित मनासा अस्पताल लेकर जाना पड़ता है कभी-कभी तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता है तथा महिलाओं के प्रसव के लिए भी नगर में स्वास्थ्य केंद्र उपस्थित होने के बावजूद भी मनासा अस्पताल लेकर जाना पड़ता है
रात 7:00 बजे बाद अस्पताल बन जाता है घर
नगर तथा आसपास के लोगों का कहना है कि जब रात को हम अस्पताल में पहुंचते हैं इलाज करवाने के लिए तो अस्पताल मैं ना तो वार्ड बॉय उपस्थित रहता है और ना ही नर्सऔर ना ही ड्रेसर लोगों को कह दिया जाता है मरीज को आगे ले जाया जाए
वर्तमान स्टाफ की जानकारी
मेडिकल ऑफिसर। "1"
नेत्र सहायक। "1"
फार्मासिस्ट। ""1"
ड्रेसर। "1"
वार्ड बॉय। " 1"
नर्स। "1"
तथा अस्पताल को रोस्टर के अनुसार संचालित किया जा रहा है सुविधाओं के अभाव के कारण उचित स्वास्थ्य लाभ न मिलने के कारण मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है जिसके चलते कई लोग अब तक इस अस्पताल में दम तोड़ चुके हैं जब विश्व अस्पताल में स्थाई डॉक्टर उपस्थित थे तब यहां की ओपीडी 80 से 90 प्रतिदिन की हुआ करती थी तथा यहां पर खून एवं पेशाब की भी जांच की जाती थी यहां तक की कुकड़ेश्वर थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक्सीडेंट होने पर मेडिकल करवाने के लिए 14 किलोमीटर दूर स्थित मनासा अस्पताल लेकर जाना पड़ता है कभी-कभी तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता है तथा महिलाओं के प्रसव के लिए भी नगर में स्वास्थ्य केंद्र उपस्थित होने के बावजूद भी मनासा अस्पताल लेकर जाना पड़ता है
रात 7:00 बजे बाद अस्पताल बन जाता है घर
नगर तथा आसपास के लोगों का कहना है कि जब रात को हम अस्पताल में पहुंचते हैं इलाज करवाने के लिए तो अस्पताल मैं ना तो वार्ड बॉय उपस्थित रहता है और ना ही नर्सऔर ना ही ड्रेसर लोगों को कह दिया जाता है मरीज को आगे ले जाया जाए